“जीरो वेट बैग पालिसी”
यह पालिसी स्कूल के विद्यार्थियों के कंधों पर पड़ने वाले वज़न को कम करने का प्रयास है.
NCRET का syllabus लागु होने के बाद प्रत्येक कक्षा में अतिरिक्त विषयों का समायोजन किया गया जिसके कारण विद्यार्थी को प्रत्येक विषय की अतिरिक्त पुस्तक एवं नोटबुक बनानी पड़ती है . फलस्वरूप छोटे छोटे बच्चों के कंधो पर पड़ने वाले बस्ते का वज़न भी बढ़ जाता है . आज एक तीसरी कक्षा के विद्यार्थी के बस्ते का वज़न भी 3-4 किलो ग्राम तक होता है जिसे वर्ष भर ढोते ढोते उसके कंधे झुक जाते है | जब 6 से 12 तक के बच्चों के बस्तों का अवलोकन करे तो स्थिति और भी भयावह हो जाती है. आज कक्षा 6 में दस विषय पढाये जाते है अर्थात इन दस विषयों की 10 पुस्तके और फिर इन दस विषयों की 10 नोटबुक्स भी तथा इसके साथ अन्य विभिन्न प्रकार की सामग्री | कुल मिलकर 6-8 तक की कक्षा के बच्चों के बस्ते का वज़न भी 5-6 किलोग्राम तक होता है | निजी विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की स्थिति तो और भी सहानुभूति पूर्ण है | परिणामस्वरूप हमें बहुत से बच्चों में झुकी कमर एवं कंधों में दर्द की शिकायत भी मिलती है | लेकिन हम सिर्फ इसे थकान समझ कर अनदेखा कर देते है |
इन सब बातों को ध्यान में रखते हुए ग्रामोदय शिक्षण संस्थान ने इस असहनीय एवं अनावश्यक बसते के वज़न को कम करने में पहल की है |
इस पालिसी को सम्पादित करने के लिए बहुत से सरकारी नियमों का पालन करना भी एक चुनौती थी लेकिन गहन विचार विमर्श एवं अनुसन्धान के बाद इस पालिसी का एक ढांचा तैयार किया गया | जब हमने इस पालिसी के अन्तर्गत 6-8 तक के बच्चों के बस्ते का वज़न लिया तो चौकाने वाले परिणाम सामने आये. इस पालिसी को लागू करने के बाद विद्यार्थियों के बस्ते के वज़न में 70% तक की कटौती दर्ज की गई |
इस पालिसी के अंतर्गत विद्यार्थियों के बस्तों के वज़न को कम करने के लिए दैनिक कालांशों का इस तरह से समायोजन किया गया है कि विद्यार्थी को कम से कम पुस्तकें एवं नोटबुक्स लानी पड़े |
यह पालिसी सत्र 2013-14 से ग्रामोदय विद्यालय में लागू कर दी जायेगी |
बस्ते के वज़न कम होने से न तो विद्यार्थियो में थकान आएगी और न ही कंधो में दर्द की शिकायत | बच्चे से पहले से ज्यादा पढाई पर ध्यान केन्द्रित कर पाएंगे |